कचनार के पौधे मे बहुत सारे चमत्कारी गुण होते है यह छय रोग, खांसी में रामबाण औषधि का काम करता है इसमें एंटीऑक्सीडें, विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है
भारत के आयुर्वेद मे कचनार के उपयोग और उसके फ़ायदों के बारे मे बहुत विस्तार से बताया गया है। कचनार का पोधा आयुर्वेद के अनुसार एक बहुत ही कारगर ओषधि है। कचनार मे औषधीय गुणों के भंडार होते हैं। यह छय रोग, खांसी में रामबाण औषधि का काम करता है. इसके साथ ही इसके अंदर एंटीऑक्सीडेंट भी भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
कचनार का वानस्पतिक नाम बोहेनिया वैराईगेटा है और यह फैबैसी कुल का सदस्य है। इसकी पत्तियों का आकार देखने मे ऐसा लगता है की जेसे दो पत्तियों को आपस मे जोड़ दिया गया हो । कचनार पौधे की दो प्रजातीय भारत मे ज्यादातर देखने को मिलती है एक पर सफेद रंग के फूल और कालिकाएं आती हैं और दूसरे पर लाल रंग के फूल आते हैं।
कचनार के औषधीय गुण :
कचनार का उपयोग छय रोग, खांसी और श्वेत प्रदर में किया जाता है साथ ही रक्त विकारों में भी इसका उपयोग किया जाता है। कचनार मे एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज भरपूर मात्र मे पाई जाती है। जो की पेट की बीमारियों में भी यह रामबाण औषधि का काम करता है। कचनार मे मिनरल्स और विटामिन की मात्र भी खूब पाई जाती है। यह जोड़ों के दर्द मे गठिया में बहुत उपयोगी होती है। कचनार मे ऐसे औषधीय गुण पाए जाते है की यदि इसका सही से उपयोग किया जाए तो यह शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ को गलाने का भी दम रखती है. कचनार के फूल, पत्तियों और छाल औषधि का काम करती है। डॉक्टर ने बताया कि इसका सेवन करने से पहले आपको किसी एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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