Google के लिए भारत के Telecom Minister का बड़ा बयान

Google ने Shaadi.com ,Kuku FM और 10 भारतीय कंपनियों के Apps को Google Play Store से हटा दिया है। जाने पूरी खबर

Google के प्ले स्टोर से भारतीय apps को हटाने को लेकर देश की सरकार ने Google पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार ने शनिवार को कहा कि भारतीय ऐप्स को डीलिस्ट करने की अनुमति गूगल को नहीं दी जा सकती है आईटी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम भारतीय अर्थव्यवस्था की कुंजी है और उनके भाग्य का फैसला कोई टेक कंपनी नहीं कर सकती। दरसल Google ने यह कदम इसलिए उठाया है क्युकी कुछ ऐप डेवलपर्स Play Store की बिलिंग पॉलिसी का पालन नहीं कर रहे हैं। अल्फाबेट के स्वामित्व वाली कंपनी ने दावा किया है कि दस भारतीय ऐप डेवलपर्स, जिनमें Shaadi.com से लेकर Kuku FM जैसी बड़ी कंपनियां जो उनके प्लेटफार्म का उपयोग करने के लिए प्ले स्टोर फीस का भुगतान नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण इन Apps को (एंड्रॉइड ऐप मार्केटप्लेस) Google Play Store से हटाया गया है।

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में ऐप डेवलपर्स के ग्रुप ने Google को पत्र लिखकर 19 मार्च तक ऐप्स को डिलिस्ट न करने का अनुरोध किया है। हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि Google ने दलीलों को न सुनने का फैसला किया है और इसके बजाय भुगतान न करने वाले डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। दूसरी तरफ इस पूरे मामले पर एंड्रॉयड प्लेटफार्म डेवलपर का कहना है कि मामले पर कार्रवाई न करना, 2 लाख से ज्यादा भारतीय डेवलपर्स के साथ अन्याय होगा जो इसकी बिलिंग नीति का अनुपालन कर रहे हैं।

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने किसी भी भारतीय ऐप्स को हटाने या डिलीट न करने को कहा है। यह स्टेटमंट Google द्वारा Google Play स्टोर से पॉपुलर मैट्रिमोनी ऐप्स सहित कई ऐप्स को हटाने के निर्णय लेने के तुरंत बाद आया है।

टेकक्रंच की एक रिपोर्ट हाल ही में सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि भारतीय कंपनियों का एक ग्रुप Google की इस Play Store बिलिंग नीतियों को चुनौती देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में पहुंचा था। लेकिन एनडीटीवी प्रॉफिट की एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने इस अपील को खारिज कर दिया । जिसके बाद भारतीय कंपनियों का यह ग्रुप इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पहुंची । अब इस मामले पर भारत का सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।

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